मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ड्रोन के खतरे के बारे में महीनों पहले ही कर दिया था आगाह

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नई दिल्ली, 29 जून 2021: जम्मू में रविवार को भारतीय वायु सेना स्टेशन पर हुए विस्फोटकों के संदिग्ध ड्रोन-ड्रॉप के बारे में महीनों पहले पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ड्रोन के खतरे के बारे में आगाह किया था। उन्होंने पाकिस्तान से यूएवी और ड्रोन हथियारों की डिलीवरी को रोकने के उपाय करने की मांग भी की थी।

पंजाब में शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक सीएम अमरिंदर ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकत से पहले नवंबर में पीएम मोदी को यह पत्र लिखा था। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के दौरान भी इस मुद्दे पर चर्चा की थी। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि पंजाब में पिछले दो वर्षों में 70-80 ड्रोन देखे गए हैं। कुछ मामलों में उन्हें मार गिराया गया। पीएम को लेटर लिखने के बाद  स्टेट इटेलीजेंस चीफ, पंजाब पुलिस और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बीच उच्च स्तरीय बैठकें भी हुई थी।

21 नवंबर, 2020 को अपने पत्र में सीएम अमरिंदर सिंह ने अगस्त 2019 में अमृतसर के होशियारनगर में एक चीन निर्मित हेक्सागोनल ड्रोन द्वारा राइफल और पिस्तौल गिराने के बारे में बताया था। इसके साथ फिरोजपुर और तरनतारन सेक्टरों में ड्रोन देखे जाने के की जानकारी दी थी। मुख्यमंत्री ने चेताते हुए कहा था कि सीमा पार से लगभग 5 किमी भारतीय सीमा के अंदर तय  जगह बड़े ड्रोन के माध्यम से हथियारों की डिलीवरी राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता का विषय है और इसके  पब्लिक मीटिंग और कार्यक्रमों की सुरक्षा के लिए गंभीर निहितार्थ हैं।

सीएम सिंह ने प्रधानमंत्री से ड्रोन खतरे की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाने की मांग की थी। जिससे इन आवाजाही का पता लगाने वाले रडार जैसे बुनियादी ढांचे पर चर्चा की जा सके। उन्होंने लिखा, “इस तरह के ड्रोन के इस्तेमाल के खिलाफ उपयुक्त जवाबी उपायों को भी विकसित करने की आवश्यकता होगी, क्योंकि अब यह स्पष्ट हो रहा है कि पाकिस्तान सीमा पार से बैन सामग्री पहुंचाने के लिए ऐसे प्लेटफॉर्म डिप्लॉय कर रहा है”।

पंजाब के पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता के मुताबिक कि ड्रोन हमले और हथियार गिराना एक निरंतर खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य में कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन बीएसएफ सहित केंद्रीय एजेंसियों को तत्काल काउंटर तंत्र तैयार करने और बुनियादी ढांचे की योजना बनाने की जरूरत है।

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