क्या आयुर्वेद मरीजों के खर्च को कम करने में मदद कर सकता है? मंत्री ने राज्यसभा में अरोड़ा को दिया जवाब।

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लुधियाना, 24 दिसंबर 2024: आयुर्वेद चिकित्सा की सबसे पुरानी प्रणालियों में से एक है, जिसके दो मुख्य उद्देश्य हैं। स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और संरक्षित करना तथा पीड़ित रोगियों में बीमारी का किफायती उपचार उपलब्ध कराना।

यह बात आयुष मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने राज्यसभा के हाल ही में संपन्न शीतकालीन सत्र में लुधियाना से सांसद (राज्यसभा) संजीव अरोड़ा द्वारा “आयुर्वेद से जेब से होने वाले चिकित्सा खर्च को कम करने में मदद” विषय पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कही।

आज यहां यह जानकारी देते हुए अरोड़ा ने कहा कि मंत्री ने अपने उत्तर में आगे बताया कि आयुर्वेद निवारक स्वास्थ्य सेवा, किफायती उपचार विकल्पों और रोग प्रबंधन के लिए समग्र दृष्टिकोण पर जोर देकर देश में जेब से होने वाले चिकित्सा खर्च को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयुर्वेद आधारित जीवनशैली जैसे दिनचर्या (दैनिक दिनचर्या), ऋतुचर्या (मौसमी व्यवस्था) का पालन करने से, जो एक स्वस्थ जीवन शैली को दर्शाता है, व्यक्तियों में रोग प्रकट होने की संभावना काफी कम हो सकती है।

इसके अलावा, मंत्री ने अपने उत्तर में उल्लेख किया कि आयुर्वेद सहित आयुष के तहत भारतीय चिकित्सा प्रणाली को लोकप्रिय बनाने के लिए, आयुष मंत्रालय राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयुष चिकित्सा प्रणालियों के प्रचार और लोकप्रियकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली केंद्र प्रायोजित योजना नेशनल आयुष मिशन (एनएएम) और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं को लागू कर रहा है।

नेशनल आयुष मिशन (एनएएम) के तहत स्टेट एनुअल एक्शन प्लान्स (एसएएपी) के माध्यम से राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों से प्राप्त प्रस्तावों के अनुसार, आयुष मंत्रालय ने वर्ष 2014-15 से 2023-24 तक 4534.28 करोड़ रुपये की राशि जारी की है। एनएएम योजना के कार्यान्वयन के बाद, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में आयुष चिकित्सा पद्धति के विकास और लोकप्रियकरण की उपलब्धि का स्तर काफी बढ़ गया है। तदनुसार, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के माध्यम से एनएएम योजना की विभिन्न गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिए एनएएम का बजट आवंटन धीरे-धीरे 75.28 करोड़ रुपये (2014-15 में) से बढ़ाकर 1200.00 करोड़ रुपये (2024-25 में) कर दिया गया। एनएएम के अंतर्गत, विभिन्न आयुष प्रणालियों के डेवलपमेंट और प्रमोशन के लिए राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों को कंसोलिडेटेड फंड जारी किये जा रहे हैं तथा स्ट्रीम-वार फंड जारी नहीं किये जा रहे हैं।

2014-15 से 2023-24 तक आयुष चिकित्सा पद्धति के विकास, प्रमोशन और लोकप्रिय बनाने के लिए एनएएम के तहत समर्थित प्रमुख गतिविधियां इस प्रकार हैं: इंटीग्रेटेड आयुष अस्पतालों की स्थापना के लिए 167 इकाइयों को मदद दी गई; बुनियादी ढांचे और अन्य सुविधाओं के अपग्रेडेशन के लिए 416 आयुष अस्पतालों और 5036 आयुष डिस्पेंसरियों को मदद दी गई; औसतन प्रत्येक वर्ष 2322 पीएचसीज़, 715 सीएचसीज़ और 314 डीएचएस को दवाओं और आकस्मिक व्यय की आवर्ती सहायता के लिए सह-स्थान के तहत सहायता प्रदान की गई; प्रत्येक वर्ष औसतन 996 आयुष अस्पतालों और 12405 आयुष औषधालयों को आवश्यक आयुष दवाओं की आपूर्ति के लिए सहायता प्रदान की गई; नए आयुष शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के लिए 16 इकाइयों को मदद दी गई; बुनियादी ढांचे, पुस्तकालय और अन्य चीजों के अपग्रेडेशन के लिए 76 स्नातक और 36 स्नातकोत्तर आयुष शैक्षणिक संस्थानों को मदद दी गई; 1055 आयुष ग्राम को मदद दी गई; और 12500 आयुषमान आरोग्य मंदिर (आयुष) को मंजूरी दी गई है।

मंत्री के उत्तर में यह भी उल्लेख किया गया कि आयुष मंत्रालय वर्ष 2021-2026 के लिए 122 करोड़ रुपये के फाइनेंशियल ऑउटले के साथ आयुष औषधि गुणवत्ता एवं उत्पादन संवर्धन योजना (एओजीयूएसवाई) के लिए सेंट्रल सेक्टर स्कीम को लागू कर रहा है, जिसका एक उद्देश्य आयुष दवाओं और सामग्रियों के मानकों और गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए तालमेल, सहयोग और कनवर्जेंट एप्रोच का निर्माण करना है। आयुष मंत्रालय के तहत 12 राष्ट्रीय संस्थान और 5 अनुसंधान परिषदें स्वास्थ्य देखभाल की आयुष प्रणाली के समन्वय, निर्माण, विकास, प्रचार और लोकप्रिय बनाने में लगे हुए हैं।

उत्तर में यह भी उल्लेख किया गया है कि आयुर्वेद, पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणाली ने विभिन्न विशेषताओं में महत्वपूर्ण प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया है, विशेष रूप से पुरानी बीमारी की स्थिति और जीवनशैली से संबंधित विकारों के प्रबंधन में।  आयुर्वेद में अनुसंधान के निर्माण, समन्वय और विकास के लिए अपेक्स बॉडी सेंट्रल कौंसिल ऑफ आयुर्वेदिक साइंसेज (सीसीआरएएस) ने कई इंट्रा-म्यूरल और सहयोगी अनुसंधान परियोजनाओं के माध्यम से एक स्टैंडअलोन मैनेजमेंट और स्टैण्डर्ड केयर के अतिरिक्त के रूप में विभिन्न चिकित्सा स्थितियों में सुरक्षा और प्रभावकारिता का प्रमाण तैयार किया है।

आयुर्वेद सहित आयुष प्रणालियों का साक्ष्य-आधारित शोध डेटा आयुष रिसर्च पोर्टल नामक विशेष पोर्टल पर उपलब्ध है। पोर्टल में आयुर्वेद में क्लीनिकल, प्रे-क्लीनिकल, ड्रग रिसर्च और फंडामेंटल रिसर्च सहित 30920 से अधिक रिसर्च पब्लिकेशनज़ उपलब्ध हैं।

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