किसानों का संघर्ष मुल्क में लोकतंत्र और मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए निर्णायक मोड़ : मुख्यमंत्री चन्नी

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लुधियाना, 22 नवम्बर 2021 :  पंजाब के मुख्यमंत्री स. चरणजीत सिंह चन्नी ने आज कहा कि तीन काले कृषि कानूनों के विरुद्ध किसानों के संघर्ष को मुल्क में लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए निर्णायक मोड़ के तौर पर याद रखा जायेगा।

मुख्यमंत्री चन्नी ने यहाँ पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के साथ संघर्ष के दौरान शहीद हुए किसानों के पाँच वारिसों को नियुक्ति पत्र सौंपे। इस मौके पर मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि इस आंदोलन ने मुल्क में लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवीय अधिकार कायम रखे। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन हरेक देश निवासी को लोकतंत्र और मानवीय अधिकारों की ख़ातिर शांतमयी ढंग के साथ संघर्ष लड़ने के लिए सदा प्रेरित करता रहेगा। मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि पंजाब सरकार हमेशा ही मुल्क के अन्नदाताओं के साथ कंधा से कंधा जोड़ कर खड़ी है।

मुख्यमंत्री ने दोहराया कि समूह पंजाबी ख़ास कर किसानों को लापरवाह होने की बजाय तब तक चौकस रहना चाहिए, जब तक यह घृणित कृषि कानून रद्द नहीं हो जाते। उन्होंने कहा कि पंजाब की तरक्की और ख़ुशहाली को रास्ते से उतारने और किसानों के हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए नयी साजिशें रची जा रही हैं। प्रधान मंत्री के कृषि कानूनों को रद्द करने के ऐलान का स्वागत कर रहे नेताओं पर बरसते हुये मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि यह कथित राष्ट्रीय नेता पंजाब के विरुद्ध रचे जा रहे मंसूबों में पूरी तरह शामिल हैं।

मुख्यमंत्री ने इन नेताओं को ऐसीं खुशियाँ ज़ाहिर करने के पीछे तर्क देने का सवाल करते कहा हुये कि इसमें में ख़ुशी वाली कौन सी बात है क्योंकि इस संघर्ष में पंजाब अपने 700 बेटियाँ-पुत्र गवां चुका है। मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि इस फ़ैसले के हक में प्रशंसा भरे शब्द गाने का सीधा सा मतलब केंद्र सरकार की तरफ से संघर्षशील किसानों पर किये गये अत्याचार का समर्थन करना है जो पूरी तरह ग़ैर-वाजिब है। उन्होंने कहा कि यह कितनी शर्म की बात है कि स्वार्थी फायदों की ख़ातिर कुछ राजनैतिक नेता राज्य के हितों ख़ास कर किसानों के हित कुर्बान करने पर तुले हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी नहीं मिल जाती, तब तक काले कानून रद्द कर देने का ऐलान भी बेमायना और बेबुनियाद है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को यह यकीनी बनाना चाहिए कि किसानों की फ़सल का एक-एक दाना न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उठाया जाये जिससे किसानों को निजी खरीददारों के हाथों से लूट से बचाया जा सके। मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि पंजाब और किसानों के लिए यह कुछ दिन बहुत अहम हैं और हम सभी को और ज्यादा चौकस रहने की ज़रूरत है।

मुख्यमंत्री ने दोहराया कि राज्य सरकार इन शहीद किसानों के नाम पर यादगार बनाऐगी जिससे हमारी नौजवानों पीढ़ियां उनके मिसाली संघर्ष से अवगत हो सकें। उन्होंने कहा कि संघर्ष के दौरान किसानों को पेश कठिनाईयाँ और मुसीबतेें हम सभी को किसी भी तरह के दमन, ज़ुल्म और बेइन्साफ़ी के खि़लाफ़ एकजुट होकर आवाज़ बुलंद करने के लिए प्रेरित करती रहेंगी। मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि यह यादगार राज्य सरकार की तरफ से मुल्क के अन्नदाताओं को विनम्र श्रद्धाँजलि होगी।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने संघर्ष के दौरान शहीद हुए किसानों के अगले वारिसों को सरकारी नौकरियों के लिए नियुक्ति पत्र भी सौंपे जिनमें बलजिन्दर सिंह पुत्र स्व. जंग सिंह, अमनदीप कौर पत्नी स्व. बलजिन्दर सिंह, प्रभजोत कौर पुत्र स्व. मनमोहन सिंह, हरविन्दर कौर पत्नी स्व. जगजीत सिंह और सतनाम सिंह पुत्र स्व. हाकम सिंह शामिल थे। इन्होंने दुख की इस घड़ी में किसानों के साथ खड़े होने के लिए मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया।

इस मौके पर पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू, कैबिनेट मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और भारत भूषण आशु, विधायक कुलदीप सिंह वैद्य, संजय तलवाड़ और लखबीर सिंह लक्खा, मुख्यमंत्री के विशेष प्रमुख सचिव राहुल तिवारी, डिप्टी कमिशनर वरिन्दर शर्मा, पुलिस कमिशनर गुरप्रीत सिंह भुल्लर और अन्य उपस्थित थे।

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