आज के दिन किया जाता है शहीदों को याद और दी जाती है शहीदों को श्रद्धांजलि
पठानकोट, 10 सितंबर 2021 : 4 हार्स भारतीय सेना की सब से प्रसिद्ध रेजीमेंटों में से एक है,और 56 साल पहले भारत पाक युद्ध में फिलोरा की लड़ाई मे शहीद हुए शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करती है।
11 सितंबर 1965 के दौरान, उप महाद्वीप के दो नवगठित देश सन 1947 में अपनी स्थापना के बाद 18 वर्षों में दूसरी बार युद्ध लड़े। फिलोरा की ऐतिहासिक लड़ाई में सियालकोट सेक्टर में भारतीय 1 आर्मड डिवीजऩ के अंदर 4 हार्स एक सप्पन टैंक रेजिमेंट थी,जिसने दुश्मन के पेटनटैंकों से बिना डरे पाकिस्तानी आर्म डफार्मेशन के 79 टैंकों और 17 आर सी एल बंदू को नष्ट किया था। दुश्मन के गढ़ो को तोड़ते हुए और फिलोरा पर कब्जा करने का रास्ता साफ करने के बाद रेजिमेंट ने दुश्मन के आवागमन को बंद कर दिया, जिस से पाकिस्तानियों में दहसत फैल गई। इसके बाद भारतीय पैदल सेना ब्रिगेड द्वारा आसानी से फिलोरा पर कब्जा कर लिया गया।
नुकसान के बिना नही, हालांकि बड़ी संया में घायलों के अतिरिक्त 4 हार्स ने इस युद्ध के दौरान कई जवानों और अपने दो बेहतरीन अधिकारियों को खो दिया। राष्ट्र के लिए अपनी निरंतर सेवा मे ंरेजिमेंट को युद्ध समान, फिलोरा,और थिएटर समान ‘पंजाब1965’ से समानित किया गया। इसके अतिरिक्त रेजिमेंट ने कई व्यक्तिगत विशिष्टताए अर्जित की जिन में दो महावीर चक्र, दो विशिष्ट सेवा पदक, छह सेना पदक,15 उल्लेखित प्रेषण और वीरता के लिए कई प्रशंसा पत्र शामिल है।
फिलोरा की लड़ाई,जो कि 11 सितंबर 1965 को लड़ी गयी थी, यह लड़ाई रेजिमेंट के इतिहास में गर्व का स्थान लेगी। क्योंकि यह पहली बार था जब 4 हार्स पूरे भारतीय अधिकारियों के अधीन पूरी तरह भारतीय यूनिट के रूप में युद्ध में उतरे तथा स्वतंत्र भारत के समान के लिए लड़ रहे थे। सन 1857 में रेजिमेंट की स्थापना से रेजिमेंट के पास वीरता, प्रतिकूल परिस्थितियों में दृढ़ता और युद्ध मे हुए जन हानि को सहने की क्षमता और अभी भी एक लड़ाकू यूनिट के रूप में कार्य करने की उत्कृष्टक्षमता का एक उदाहरण है।
इन क्षमताओं ने इसे अफ्रिका, मध्य पूर्व और फ्रांस सहित दुनिया भर मे ं23 युद्ध समान जिताये है। 1971 के भारत पाक युद्ध के दौरान, 4 हार्स ने एक बार फिर से सियाल कोट सेक्टर से आगे बढक़र ठाकुर वाड़ी, चक्र और दरयान, घमरोला की लड़ाई में 32 पाकिस्तानी टैंकों को नष्ट कर दिया और बसंतर नदी के पार अपनी वीरता का परिचय देते हुए पाकिस्तान के पश्चिमी सेक्टर की और आगे बढ़ी। रेजिमेंट को एक महावीर चक्र, 3 वीर चक्र और कई अन्य वीरता पुरस्कारों के अलाबा युद्ध समान बसंतर और थिएटर समान पंजाब 1771 से समानित किया गया।
इसके पीछे 164 वर्षो के गौरवशाली इतिहास के साथ, 4 हार्स अभी भी युद्ध की तैयारी और सैनिक कौशल के मानकों को बनाए रखती है। इसे भारतीय सेना के इतिहास में एक मात्र रेजिमेंट होने का अनूठा गौरव प्राप्त है, जिसमे एक साथ दो सेना कमाण्डर है- लेिटनेंट जनरल आर एम बोहरा, एमवीसी, ए वी एस एम,जो पूर्ब सेना कमाण्डर के रूप में सेवा निवृत्त हुए और लेिटनेंट जनरल गुरिन्दरसिंह,पी वी एस एम, ए वी एस एम, जिन्होंने उत्तरी सेना की कमाण्ड संभाली।
फिलोरा की लड़ाई की 56 वी वर्षगांठ के अवसर पर रेजिमेंट के सेवारत और सेवा निवृत्तव्य कि अपने नायकों का समान करने और अपनी रेजिमेंट के गौरवशाली विरासतों को तथा रेजिमेंटल आदर्श व्याकया शहीदों के पुकार तैयार बर तैयार को और भी शाक्तिशाली बनाने के लिए एकत्रित हुए है।
दूसरा पहलू युद्ध के दौरान कई असाधारण क्षणो का लेखा जोखा जब रेजिमेंटल मुयालय ट्रूप द्वारा दुश्मन के एक स्क्वाड्रन पर हमला किया गया था, तब 4 हार्स कमान्डेंट लेिटनेंट कर्नल एम एम बक्शी के टैंक द्वारा तीन पाकिस्तानी टैंकों को बर्बाद किया गया। सामने से नेतृत्व की इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए, रेजिमेंट का पहला टैंक जिसे पाकिस्तानियो द्वारा हिट किया गया था,वह कमांडेंट का टैंक था। हालांकि वे बच गए और दूसर े टैंक से आगे बढऩा जारी रखा।
एक पाकिस्तानी इन्फेंट्रीमेंन जब 4 हॉर्स के एक सेंचुरियन टैंक को गलती से अपना समझ कर मदद मांगने के लिए उस पर चढ़ जाता है तो बुर्ज सेनिकल ने वाले एक भयानक सिख जे सी ओ की देख कर डर जाता है। पाकिस्तानी टैंक से कूद जाता है और भारतीयों सैनिको ंके सामने अपने पैरों की तरफ देखने लगता है। जब गनर से पूछा गया की तुमने अपनी मशीन गन से उस पाकिस्तानी को गोली मार कर खत्म क्यों नही किया,तो गनर ने तिरस्कार के साथ जवाब दिया,कि यह ऐसे इंसान को गोली मारने के लिए नही है जो युद्ध के मैदान में खो गया हो।
नकशो की कमी के चलते, 4 हॉर्स के सैनिकों ने दुश्मन की एक मैपों की लोरी पर हमला कर कब्ज़ा कर लिया तथा दुश्मन के उन्ही मैपों के द्वारा ही आगे बढऩा जारी रखा जो कि वह मैप हमारे मैपों की बजह ज्यादा अपडेट थे।
एक सुबह जब दो अधिकारी तो पखाने की गोला बारी से हैरान होकर अपने आपको राहत देने के लिए अपने टैंकों से उतर कर गन्ने के खेत में चले जाते है। तभी एक अधिकारी के पैरों क ेबीच से गोली के एक छररे का एक टुकड़ा इतना करीब से गुजरा की वे उसकी हवा को महसूस कर सकते थे। उनके फटे हुए पेन्ट शेष युद्ध के लिए उनके भागने की याद दिलाते है।
जब बी स्क्वाड्रन 19 सितम्बर को भीषण लड़ाई के बाद सीमा पर थक गया, तो उनके पास युद्ध के दौरान इस्तेमाल किए गए14 टैंकों में से केवल दो टैंक बचे थे,सीनियर जेसीओ एक 28 साल के अनुभवी व्यक्ति,उन्होंने अपने आंसुओं के साथ युद्ध मे स्क्वाड्रन के बचे अवशेषों को ढूंढा और एक मात्र जीवित बचे अधिकारी के पास गए और पूछा, अगले इंटर स्क्वाड्रन हॉकी चैंपियनशिप में क्या करने वाली है 4 हार्स-सन 1857 में रेजिमेंट की स्थापना के समय से रेजिमेंट के पास वीरता, प्रतिकूल परिस्थितियों में दृढ़ता और युद्ध में हुए जन हानि को सहने की क्षमता रखता है और अभी भी एक लड़ाकू यूनिट की तरह कार्य करता है। इन क्षमताओं ने यह पूरे विश्व में 23 युद्ध समान दिलाए है।