मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब ने भाजपा के प्रभाव में बी.बी.एम.बी. की मनमानियों का विरोध करते हुए ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया

0

चंडीगढ़, 5 मई 2025:

प्रस्ताव के कुछ मुख्य बिंदु:

1. पंजाब सरकार हरियाणा को अपने हिस्से में से एक भी बूंद अतिरिक्त पानी नहीं देगी। वर्तमान में मानवता के आधार पर पीने के पानी के रूप में केवल 4000 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है जो जारी रहेगा। एक भी बूंद और नहीं देंगे।

2. यह सदन भाजपा द्वारा बी.बी.एम.बी. की बैठक बुलाने के गैर-कानूनी और गैर-संवैधानिक तरीके की कड़ी निंदा करता है।

3. मौजूदा बी.बी.एम.बी. केवल भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कठपुतली के रूप में काम करती है। बी.बी.एम.बी. बैठकों में पंजाब की चिंताओं और अधिकारों को पूरी तरह से नजरअंदाज करता है। इसलिए पंजाब के योग्य प्रतिनिधित्व और इसके हितों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बी.बी.एम.बी. का पुनर्गठन किया जाना चाहिए।

4. सतलुज, रावी और ब्यास नदियाँ पूरी तरह से पंजाब में बहती हैं और इसके बावजूद उनका पानी दूसरे राज्यों को किस आधार पर दिया जा रहा है? वर्ष 1981 का समझौता जो इस पानी के बंटवारे की व्यवस्था तय करता है, वह नदी जल के प्रवाह के स्तर पर आधारित था जो आज काफी कम है। मौजूदा जमीनी हकीकतों को दर्शाने के लिए नए समझौते की आवश्यकता है।

5. बी.बी.एम.बी. बैठकों के नोटिस जारी करने के लिए बार-बार कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन करता है-अक्सर आधी रात को बैठकें तय करता है। यह सदन बी.बी.एम.बी. को इस संबंध में कानून का सख्ती से पालन करने का निर्देश देता है।

6. प्रत्येक राज्य को आवंटित किए गए पानी के बंटवारे संबंधी वर्ष 1981 के समझौते में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। बी.बी.एम.बी. के पास इसे बदलने की कोई कानूनी ताकत नहीं है। बी.बी.एम.बी. द्वारा ऐसी बैठकों के माध्यम से पंजाब के हिस्से को किसी अन्य राज्य को पुनर्वितरित करने का कोई भी प्रयास गैर-कानूनी और गैर-संवैधानिक है।

7. यह सदन ‘डैम सुरक्षा अधिनियम-2021’ को पंजाब के अधिकारों पर सीधा हमला मानता है। यह केंद्र को राज्य के स्वामित्व वाले बांधों और नदियों पर अधिक नियंत्रण करने का अधिकार देता है और यहां तक कि वे बांध और नदियां भी जो पूरी तरह से राज्य की सीमाओं के भीतर हैं। यह भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करता है और जल संसाधनों पर पंजाब की संप्रभुता को कमजोर करता है। अधिनियम को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।

__

– भाजपा की नई साजिश – हरियाणा, केंद्र सरकार और बी.बी.एम.बी. के माध्यम से पंजाब के पानी के अधिकार छीनना।

– बी.बी.एम.बी. की आधी रात को गैर-कानूनी बैठक-पंजाब के पानी को हरियाणा को देने की गहरी साजिश।

– हरियाणा 31 मार्च तक अपने हिस्से का पानी खत्म कर चुका है-अब पंजाब का पानी चाहता है।

– भाजपा का लक्ष्य-पंजाब के हिस्से का पानी लूटकर हरियाणा को देना।

– भगवंत मान की अगुवाई वाली सरकार में सिर्फ 3 सालों में खेतों तक नहर के पानी का उपयोग बढ़कर 60 फीसदी तक पहुंचा। पंजाब की तरक्की भाजपा सरकार की आंखों में खटक रही है।

– साल 2021 में सिर्फ 22 फीसदी खेतों को नहर का पानी पहुंचता था और आज यह 60 फीसदी तक पहुंच गया है। पंजाब के लिए एक-एक बूंद बेशकीमती है।

– 6 अप्रैल को हरियाणा ने पीने के पानी का अनुरोध किया था-पंजाब ने मानवता के आधार पर 4000 क्यूसेक पानी दिया।

– जरूरत सिर्फ 1700 क्यूसेक थी, फिर भी पंजाब ने 4000 क्यूसेक पानी दिया क्योंकि पंजाब अपने महान गुरु साहिबान की शिक्षाओं पर चलता है।

– अब वे 8500 क्यूसेक पानी मांग रहे हैं-यह कोई मांग नहीं बल्कि दिन-दहाड़े पंजाब के अधिकारों पर डाका है।

– बी.बी.एम.बी. अब भाजपा की कठपुतली है-गैर-कानूनी ढंग से बैठकें करके पंजाब पर मनमर्जी के फैसले थोपना चाहते हैं।

– पंजाब का स्पष्ट संदेश: अपने हिस्से की एक भी बूंद किसी को नहीं देगा।

– यह सिर्फ पानी की लड़ाई नहीं-यह पंजाब की जमीन, किसानी और अस्तित्व की लड़ाई है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *