मुख्यमंत्री द्वारा नड्डा से मुलाकात, 15 नवंबर तक राज्य को डी.ए.पी. खाद की पूरी आपूर्ति की मांग

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– धान की खरीद का सीजन सुचारू रूप से जारी, आज राज्य में 4 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया

– सोने का चम्मच लेकर जन्मे केंद्रीय मंत्री बिट्टू को खेती की ज़मीनी हकीकत भी नहीं पता

– किसानों को सलाह, किसी भी चीज की अति हानिकारक होती है

– सीजन के शिखर में आंदोलन अनुचित

– हार के डर से उपचुनावों से भागने के लिए अकाली दल की निंदा

नई दिल्ली/चंडीगढ़, 26 अक्टूबर 2024 :  पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जे.पी. नड्डा से 15 नवंबर तक राज्य को आवंटित डी.ए.पी. खाद की पूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की।

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री नड्डा के निवास पर मुलाकात के दौरान कहा कि पंजाब देश के अनाज पूल में गेहूं की आपूर्ति में लगभग 50 प्रतिशत योगदान देता है। उन्होंने कहा कि डी.ए.पी. गेहूं की बुआई के लिए आवश्यक है और इस वर्ष इसके लिए राज्य में 4.80 लाख मीट्रिक टन डी.ए.पी. की आवश्यकता है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि अब तक राज्य को 3.30 लाख मीट्रिक टन डी.ए.पी. प्राप्त हुई है, जो कि बहुत कम है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह समझते हैं कि 70 प्रतिशत डीएपी दूसरे देशों से आयात की जाती है, इसलिए यूक्रेन युद्ध और अन्य अंतरराष्ट्रीय कारणों से इसकी कमी है। उन्होंने कहा कि पंजाब में डी.ए.पी. की मांग मुख्य रूप से 15 नवंबर तक है, इसलिए केंद्र सरकार को चाहिए कि वह अन्य राज्यों के मुकाबले, जहां इसकी आवश्यकता बाद में होती है, पंजाब को प्राथमिकता दे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इससे राज्य में गेहूं की बुआई का सीजन सुचारू रूप से आगे बढ़ सकेगा और यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के हित में होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रबंधों के कारण राज्य में धान की खरीद निर्बाध रूप से चल रही है। उन्होंने कहा कि एफ.सी.आई. द्वारा पहले खरीदी गई फसलों की ढुलाई ना होने के कारण कुछ बाधाएं आ रही हैं परंतु वह इस मुद्दे को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रहलाद जोशी के समक्ष लगातार उठा रहे हैं। भगवंत सिंह मान ने बताया कि आज राज्यभर की मंडियों में चार लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है और यह प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है।

केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू द्वारा दिए जा रहे आधारहीन बयानों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि धनाढ्य परिवारों से आने वाले नेता राज्य की जमीनी हकीकत से अवगत नहीं होते। भगवंत सिंह मान ने कहा कि उन्होंने अपना जीवन मंडियों में बिताया है और वहाँ किसानों-मजदूरों को आने वाली समस्याओं से भली-भांति परिचित हैं। इसके विपरीत, अमीर और विशेषाधिकार प्राप्त बिट्टू को खेती के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री को बेबुनियाद बातें करने के अलावा कुछ नहीं आता।

मुख्यमंत्री ने किसान यूनियनों को यह भी सलाह दी कि किसी भी चीज की अति हानिकारक होती है और लगभग हर दिन बिना किसी कारण सड़क जाम करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पहले ही आढ़तियों की समस्याओं का समाधान कर चुकी है और मिलरों के मुद्दों को केंद्रीय सरकार के समक्ष मजबूती से उठा रही है, जिससे खरीद प्रक्रिया में तेजी आई है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि सीजन के दौरान लोगों को असुविधा पहुंचा रहा आंदोलन अनुचित है। उन्होंने आगे कहा कि अगर केंद्र सरकार ने जून 2025 तक मिल मालिकों की फसल का भुगतान नहीं किया तो राज्य सरकार अपने स्तर पर कदम उठाएगी।

अकाली दल पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जो नेता 10 साल पहले 25 साल शासन करने का सपना देखते थे, वे अब राज्य में आम चुनाव लड़ने से भी भाग गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि जत्थेदार साहिब ने कभी भी अकालियों को चुनाव लड़ने से नहीं रोका, परंतु हार के डर से उन्होंने चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि चापलूस अकाली सुखबीर को कमांडर बता रहे हैं, जबकि उनके नेतृत्व ने 125 साल पुरानी पार्टी को बर्बाद कर दिया है।

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