राज्य की पुरानी शान की बहाली के लिए शहीद उधम सिंह के नक्शे-कदमों पर चल रहे हैं : मुख्यमंत्री

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– शहीद उधम सिंह के शहीदी दिवस पर राज्य स्तरीय समारोह के दौरान महान शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की

– सुनाम की ऐतिहासिक धरती पर अत्याधुनिक स्टेडियम और बस अड्डा बनाने का ऐलान

–  राज्य सरकार पंजाबी भाषा को ए.आई. में शामिल करने के लिए ठोस उपाय करेगी

– अपने हितों की पूर्ति के लिए राज्य की अनदेखी के लिए विपक्षी दलों को आढ़े हाथ लिया

शहीद उधम सिंह वाला (सुनाम), 31 जुलाई 2024 : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज यहां कहा कि राज्य सरकार पंजाब की पुरानी शान बहाल करने के लिए शहीद उधम सिंह जैसे महान शहीदों के नक्शे-कदमों पर चलकर देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति में युवाओं को सक्रिय साथी बना कर आगे बढ़ रही है।

यहां शहीद उधम सिंह के शहीदी दिवस पर राज्य स्तरीय समारोह के दौरान सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने याद किया कि वे बचपन में अपने पिता के साथ यहां हर साल होने वाले समारोह में शामिल होते थे। उन्होंने कहा कि देशवासियों ने शहीद उधम सिंह जैसे महान नायकों की बेमिसाल कुर्बानियों के कारण ही आज़ादी के इस मीठे फल का आनंद ले रहे है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि शहीद उधम सिंह आज़ादी संग्राम के एक महान योद्धा थे, जिन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार के मुख्य दोषी माइकल ओ ड्वायर को मारकर बहादुरी का सबूत दिया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वे लगातार कैक्सटन हॉल जाते रहे हैं, जहां शहीद उधम सिंह ने लाखों भारतीयों की ओर से प्रतिशोध लिया था। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस महान शहीद की बेमिसाल कुर्बानी ने देश को ब्रिटिश साम्राज्यवाद की जड़ों को उखाड़ फेंकने में मदद की। उन्होंने कहा कि शहीद उधम सिंह ने जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार का प्रतिशोध लेने के लिए 21 साल इंतजार किया और इस प्रकार देश की आज़ादी की नींव रखी।

मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में पंजाबियों की महत्वपूर्ण भूमिका है और हमें उनकी बहादुरी और विशेष योगदान पर गर्व है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे महान शहीदों और देशभक्तों के सामने श्रद्धा के साथ सिर झुकाते हैं, जिन्होंने बेमिसाल बहादुरी और असीम हौंसले का प्रदर्शन करते हुए देश की आज़ादी के लिए अभूतपूर्व कुर्बानियां दीं। उन्होंने कहा कि इन शहीदों की दी गई बेमिसाल कुर्बानियों की अमीर विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने का काम करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महान सिख गुरुओं ने लोगों को ज़ुल्म, अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा दी है, जिसके कारण पंजाबियों ने हमेशा बुराईयों के खिलाफ लड़ाई में देश का नेतृत्व किया है। भगवंत सिंह मान ने यह भी याद किया कि उनकी ओर से लोकसभा सदस्य के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के सामने अपनी बात रखने के बाद सदन ने गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों को उनकी शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की थी। उन्होंने कहा कि साहिबजादों को बहादुरी और निरसार्थ सेवा के गुण दशमेश पिताजी से विरासत में मिले थे, जिन्होंने मानवता के लिए अनथक लड़ाई लड़ी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य और इसके लोगों की भलाई के लिए मिसाल पेश की है। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद पहली बार उनकी सरकार ने राज्य में मालवा नहर की खुदाई का काम शुरू किया है। उन्होंने कहा कि यह रिकॉर्ड है कि राज्य की पिछली सरकारों ने पंजाब की इस आवश्यकता पर ध्यान नहीं दिया। भगवंत सिंह मान ने कहा कि लगभग 150 किलोमीटर लंबी यह नई नहर राज्य विशेषकर मालवा क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास और समृद्धि के नए युग की शुरुआत करेगी। उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर लगभग 2300 करोड़ रुपए खर्च करेगी, जिससे राज्य की लगभग दो लाख एकड़ कृषि योग्य भूमि की सिंचाई की जरूरत पूरी की जाएगी।

पिछली सरकारों पर व्यंग्य करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के नाम पर वोट मांगने वालों ने कभी भी ऐसा कदम उठाने के बारे में नहीं सोचा। उन्होंने कहा कि अकाली नेता आम आदमी की किस्मत बदलने वाले ऐसे प्रोजेक्ट्स को चलाने के बजाय अपने खेतों तक पानी पहुंचाने में ज्यादा दिलचस्पी रखते थे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि ऐसे लोग विरोधी पैंतरों के कारण इन नेताओं को पूरी तरह से नकारा गया है और वर्तमान सरकार को बड़ी जिम्मेदारी सौंपा गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन नेताओं ने कभी भी पर्यावरण प्रदूषण के प्रति चिंता नहीं जताई क्योंकि पेड़ों, नदियों और नहरों की वोट नहीं होती। उन्होंने कहा कि अगर पेड़ों, नहरों और नदियों को वोट का अधिकार मिला होता, तो ये नेता भी इन पर ध्यान देते। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार इन संसाधनों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रही है।

गुरबाणी की पंक्ति ‘पवन गुरु पानी पिता माता धरत महत’ का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि महान गुरुओं ने हवा को गुरु, पानी को पिता और धरती को माता का दर्जा दिया है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश पिछली सरकारों ने इन तीनों को गंदा करके हमारे महान गुरुओं के प्रति विश्वासघात किया है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि अब समय आ गया है जब हमें राज्य की पुरानी शान बहाल करने के लिए गुरबाणी की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने यह भी ऐलान किया कि राज्य सरकार द्वारा युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए इस ऐतिहासिक धरती पर अत्याधुनिक स्टेडियम और बस स्टैंड का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के ठोस प्रयासों के कारण पंजाब के 19 खिलाड़ी पेरिस ओलंपिक के लिए भारतीय दल का हिस्सा बने हैं। भगवंत सिंह मान ने बताया कि इन खिलाड़ियों को इस मेगा इवेंट की तैयारियों के लिए भी पैसे दिए गए हैं और पदक विजेता खिलाड़ियों को राज्य सरकार की नीति के अनुसार नकद पुरस्कार दिए जाएंगे।

युवाओं को शहीद उधम सिंह और अन्य राष्ट्रीय नायकों की कुर्बानियों से प्रेरित करने की बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं को देश छोड़ने के बजाय यहां के लोगों की सेवा करनी चाहिए। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार युवाओं के सशक्तिकरण के माध्यम से युवाओं के वापस पंजाब लौटने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खोलने के लिए वचनबद्ध है, जिसके लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार ने लोगों की भलाई के लिए कई पहलों की शुरुआत की है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य में अब 90 प्रतिशत घरों को मुफ्त बिजली मिल रही है, 43 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियां दी गई हैं, और लोगों को स्वास्थ्य और शिक्षा की मानक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी पहलें आम लोगों की भलाई के लिए की जा रही हैं और इस संबंध में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) में पंजाबी भाषा को शामिल करने के लिए ठोस प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस नेक प्रयास के लिए पहले ही प्रमुख पंजाबी इतिहासकारों, कवियों और साहित्यकारों को शामिल किया है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह समय की मांग है कि पंजाबी भाषा विकास की गति में पीछे न रह जाए।

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