कपड़ा उद्योग बजट से निराश क्योंकि उसे आयातित कच्चे कपास और पॉलिएस्टर फाइबर पर शुल्क में कमी की  थी  उम्मीद : एमपी अरोड़ा

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लुधियाना, 23 जुलाई, 2024 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए आज के बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र की अनदेखी का सिलसिला जारी है, वह भी महामारी से निपटने के दो वर्षों में, क्योंकि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए बजटीय आवंटन में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं देखी जा सकती।

यह बात लुधियाना से सांसद (राज्यसभा) संजीव अरोड़ा ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही। मंगलवार को यहां एक बयान में उन्होंने कहा कि इसके अलावा, संसद के पटल पर रखे गए संशोधित अनुमानों के अनुसार पिछले वर्ष का बजटीय आवंटन कम उपयोग किया गया है, जो स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रति इस सरकार के रवैये को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 23-24 के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन 38,774 करोड़ रुपये था और संशोधित अनुमान लगभग 36,742 करोड़ रुपये का था। उन्होंने कहा कि कम से कम सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि  बजटीय आवंटन का कम उपयोग न हो।

उन्होंने कहा कि जीडीपी के प्रतिशत के रूप में स्वास्थ्य सेवा व्यय का वैश्विक औसत 8-12% के बीच है, जबकि हम 2% से भी कम खर्च करते हैं, जो सरकार के 2.5% के वादे से भी कम है।अरोड़ा ने कहा कि कपड़ा उद्योग आयातित कच्चे कपास और पॉलिएस्टर फाइबर पर शुल्क में कमी की उम्मीद कर रहा था, जो बजट में नहीं किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप कपड़ा उद्योग नाखुश है। उन्होंने कहा कि उद्योग द्वारा भारी मांग के बावजूद सरकार ने अनुरोध को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है, जो उद्योग के समग्र विकास के लिए अच्छा नहीं लगता है।

इसके अलावा, चीनी कपड़ों के लिए सभी एचएसएन कोड के लिए न्यूनतम आयात दर को स्वीकार नहीं किया गया है। बीमार कपड़ा उद्योग को कोई राहत नहीं मिली, जिससे बेरोजगारी और खातों के एनपीए होने का खतरा बढ़ गया। उन्होंने कहा कि करदाता भी निराश हैं, क्योंकि वे बजट से बहुत अधिक की अपेक्षा कर रहे थे।

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