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जालंधर में मिला ग्रीन फंगस का दूसरा मामला, पढ़ें क्या है इसके लक्ष्ण

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जालंधर 22 जून 2021:  देश में ग्रीन फंगस के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब पंजाब में भी किस बीमारी का दूसरा मामला सामने आया है। जालंधर के सिविल अस्पताल में करुणा से ठीक हुए मरीज में ग्रीन फंगस की पुष्टि हुई है। मध्य प्रदेश के इंदौर में ग्रीन फंगस का देश में पहला मामला सामने आया था।

कुछ दिन पहले जालंधर सिविल अस्पताल के महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर परमवीर सिंह ने ग्रीन फंगस के पहले केस की पुष्टि की थी। अब दूसरा मामला सामने आया है, जिसमें 43 साल का पुरुष कोरोना से ठीक हो गया था। उसमें दोबारा लक्षण आने पर उसने जब टेस्ट करवाया तो उसमें ग्रीन फंगस की पुष्टि हुई है। वह अभी डॉक्टरों की निगरानी में है। हालांकि अभी यह नहीं कह सकते है कि उसकी हालत स्थिर है।

क्या है ग्रीन सोंग्स

अस्पर्जिलस फंगस को सामान्य भाषा में ग्रीन फंगस कहते हैं। अस्पर्जिलस काली, नीली हरी, पीली हरी और भूरे रंग की होती है। इससे फेफड़ों में मवाद भर जाता है, जो इसे खतरनाक बना देता है। विशेषज्ञों के अनुसार जिन लोगों को पहले से कोई एलर्जी है उनमें ग्रीन फंगस का खतरा सबसे ज्यादा होता है। वही मरीज को निमोनिया होने पर या फिर फंगल बाल बनने पर यह खतरा बढ़ जाता है।

हालांकि, अभी तक इस बीमारी के ज्यादा मामले नहीं आए हैं। इस वजह से इसके बारे में ज्यादा जानकारी भी नहीं मिली है। डॉक्टरों के अनुसार सभी फंगल इन्फेक्शन तभी होते हैं जब आपके शरीर की इम्युनिटी कमजोर पड़ जाती है। इस वजह से करुणा से ठीक होने के बाद भी अपनी मिट्टी का ख्याल रखना बहुत जरूरी है।

क्या है लक्षण

घबराहट होना और सांस लेने में कठिनाई आना, वजन कम होना, कमजोरी, नाक से खून आना इस बीमारी के शुरुआती लक्षण है। कुछ मामलों में मरीजों को बुखार भी आता है। वही संक्रमण गंभीर होने पर मरीज को सीने में दर्द हो सकता है और खांसी के साथ खन भी आ सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक, जिन लोगों के शरीर में किडनी लीवर या किसी दूसरे भाग का कोई ट्रांसप्लांट किया गया है तो उनमें पंकल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।

इसके अलावा कैंसर के मरीज जो कीमोथेरेपी जा डायलिसिस करवा रहे हैं, उनमें भी फंगल संक्रमण का खतरा अधिक होता है। ऐसे लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है। इसलिए इन्हें सभी तरह की बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है। अच्छी इम्यूनिटी वाले लोग जिन्होंने आसानी से करो ना को हराया हो उनमें इस बीमारी का खतरा बहुत कम है।

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